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सांस्कृतिक संसाधन

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सांस्कृतिक संसाधन:- सांस्कृतिक संसाधन से तात्पर्य मनुष्य की शिक्षा-दीक्षा, उसके रहन-सहन का स्तर, उसके सामाजिक, राजीनीतिक, आर्थिक विकास एवं परिवहन आदि से है। मानव संस्कृति एक ओर मनुष्य के ज्ञान तथा दूसरी ओर प्राकृतिक वातावरण के अंतर्संबंधों का प्रतिफल होती है। सांस्कृतिक संसाधन के अभाव में प्राकृतिक संसाधन एवं मनुष्य दोनों का कोई अस्तित्व नहीं है। जहाँ ज्ञान-विज्ञान का जितना ही अधिक विकास हुआ है, लोगों का जीवन-स्तर उतना ऊंचा उठा है, उनकी आवश्यकताओं में उतनी ही अधिक अधिक वृद्धि हुई है और उन आवश्यकताओं की वृद्धि के लिए अधिकाधिक संसाधनों का उपयोग हुआ है। 



जैसे- जब मनुष्य आदिमानव का जीवन व्यतीत करता था, प्राकृतिक वातावरण के तत्व उस समय भी विद्दमान थे और मनुष्य भी था लेकिन वह जंगलों में रहता था। वृक्षों की छालों से अपना शरीर ढंकता था तथा गुफाओं में रहता था।

 कहने का तात्पर्य यह है कि मनुष्य उस समय भी था। प्राकृतिक वातावरण के तत्व उस समय भी थे लेकिन मनुष्य जंगली जानवरों के समान जीवन व्यतीत करता था। लेकिन आज का मानव चंद्रमा पर जाकर वहाँ जीवन तलाशने के प्रयास कर रहा है। उसकी आवश्यकताएं असीमित एवं अनंत हो गई हैं। जिसका एक मात्र कारण उसके ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में विस्तार को है।


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