सूखा के बारे में। ( In Hindi )
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सूखा ( Drought ):- यदि बाढ़, अधिक वर्षा का परिणाम है तो सूखा जल की कमी के कारण है। धरातल पर जल का मूल स्रोत वर्षा है। जब कहीं सामान्य वर्षा हो जाती है, तो उसे सूखा कहा जाता है। वर्षा का जल वायुमंडल तथा मृदा की नमी एवं धरातलीय जल स्त्रोतों को बनाये रखता है जिससे जैव जगत की आवश्यकता की आपूर्ति होती है। जब वर्षा सामान्य से कम होती है तो सूखा का स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जब कहीं सूखा पड़ जाता है तो उसका प्रभाव भी सम्पूर्ण जीव जगत पर पड़ने लगता है। वनस्पतियां सूखने लगती है, फसलें सूख जाती है फसलों की बोआई नहीं हो पाती है, प्राणियों के लिए पेय जल की कमी हो जाय करती है। यह स्थिति भीषण अकाल का कारण बन जाती है। राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश आदि राज्य लगभग हर वर्ष सुखा से प्रभावित रहते है। जिससे पेय जल के अलावा पशुओं के लिए चारे की भी समस्या हो जाया करती है।
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सूखा का भी संबंध पर्यावरण से है क्योंकि जब तक जल चक्र सामान्य रहेगा ऐसी स्थिति प्रकट नहीं होती है। लेकिन पर्यावरण की गतिरोध के कारण, विशेषकर वायुमंडलीय अव्यवस्था से जलचक्र बाधित होता है जिससे वर्षा कम होती है, या लंबे अंतराल के बाद होती है। ऐसी स्थिति के लिए वन विनाश को सबसे बड़ा कारण माना जाता है।
इसके निवारण के लिए पर्यावरण संतुलन और सिंचाई का विकास अति आवश्यक है।