दावानल या जंगली आग ( Forest fire ):-वृक्ष हमारे देवता के समान हैं। पर्यावरण मंत्रालय की नीति के अनुसार देश के भौगोलिक एवं परिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने के लिए कुल क्षेत्र का लगभग 30% वन होना चाहिए। जबकि भारत में कुल क्षेत्रफल का लगभग 22% भाग पर ही वनों का विस्तार है। दावानल, जानबूझ कर अथवा लापरवाही या विद्वेष के कारण लगाई गई वनाग्नि से प्रतिवर्ष भूमि का बहुत बड़ा भाग प्रभावित होता है। खरपतवार, पेड़ों से झड़ी हुई पत्तियों अथवा कतई गई टहनियों को हटाने के लिए कभी-कभी जानबूझ कर आग लगाई जाती है। इस नियंत्रित आग से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं, नाइट्रोजन का यौगिकीकरण हो जाता है।
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बलुई मिट्टी में फास्फोरस की मात्रा तथा भूमि की उर्वरता बढ़ जाती है। जानबूझ कर आग समुचित विधि द्वारा उचित समय पर पवन की दिशा को ध्यान में रखकर विशेषज्ञों की देखरेख में ही लगाई जानी चाहिए वरना लाभ के बजाय नुकसान हो सकता है। वनों में ह्यास से भूमि कटाव हो जाता है, बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है और वन्य जीवों पर भी सुष्प्रभाव पड़ता है।