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बाढ़ के बारे में, कारण और उपाय।

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बाढ़ ( Flood ):- बाढ़ प्राकृतिक प्रकोपों में सबसे अधिक विश्वव्यापी है। यदि जलप्लावन ऐसे क्षेत्रों में होता है जहां सामान्यतया पानी रहता है तो उसे बाढ़ कहा जाता है।
     बाढ़ सामान्यतया एक प्राकृतिक घटना है। लेकिन जब यह दुर्घटना के रूप में प्रकट होती है तो इसके कारण और निवारण पर विचार करना आवश्यक हो जाता है। बाढ़ से भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व प्राभवित रहता है। इसके कारण भले ही अलग-अलग होते है। बाढ़ एक मानव जन्य संकट भी है।

बाढ़ के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-


1. वनस्पतियों का विनाश

2.वर्षा की अधिकता 
3. नदी की तली में अत्यधिक मलबा का जमाव
4. नदी की धारा में परिवर्तन
5. तट बध और तटीय अधिवास
6. नदी मार्ग में मानव निर्मित व्यवधान

ऊपर के मुख्य तीन कारण के बारे में।



1. वनस्पतियों का विनाश:- वनस्पतियां बाढ़ के प्रभाव को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसीलिए वनस्पति विहीन धरातल वर्षा के जल को नियंटतीत कसने में असमर्थ होता है, परिणामस्वरूप तीव्र बहाव के कारण भूमिक्षरण भी अधिक होता है। अपनी आवश्यकताओं  की पूर्ति के लिए विश्व के प्रायः सभी देशों में काफी तीव्रगति से वनों का विनाश हुआ है। जो बढ़ क् प्रसमुख कारण है। हिमालय क्षेत्र में वनस्पतियों का जिस प्रकार से विनाश हुआ है उत्तरी भाग में बाढ़ के प्रकोपों का सबसे बड़ा कारण है क्योंकि देश की सभी बड़ी नदियां हिमालय से ही निकली है।


2. वर्षा की अधिकता:- जब भी कहीं सामान्य से अधिक वर्षा और लगातार हो जाती है तो अचानक पानी फैल जाता है और बाढ़ आ जाती है। राजस्थान, बिहार आदि राज्य अधिक वर्षा के कारण प्रायः हर वर्ष बाढ़ से प्रभावित होते रहते है।

3. नदी की तली में अत्यधिक मलबा का जमाव:- जब किसी मानवीय कारण से व प्राकृतिक कारण से भी नदी की तली में मलववादी जा निक्षेप हो जाता है तो नदी की गहराई काम हो जाती है। परिणामस्वरूप थोड़ी से भी वर्षा होने से नदी का जल फैल जाता है और फिर बाढ़ आ जाती है।




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बाढ़ नियंत्रण के उपाय:- बाढ़ की विभीषिका से बचने के लिए अनेक उपाय काम मे लाये जाते है जिनमें ढालू भूमि पर वृक्षारोपण, नदी तटबंधों का निर्माण जल निकासी का प्रबंध, जलाशयों का निर्माण नदियों के प्रवाह क्षमता में विस्तार आदि प्रमुख है।


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