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ब्लॉक पर्वत के बारे में।

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ब्लॉक या भ्रंशोंत्थ पर्वत ( Block Mountain ):- इस प्रकार के पर्वतों की निर्माण भी पृथ्वी की आंतरिक शक्तियों के क्रियाशील होने के कारण होता है। इनका निर्माण उस समय होता है जब तनाव या खिंचाव की शक्तियों के क्रियाशील होने के कारण चट्टानें चटक का टूट जाती हैं और उनमें दरारे या भ्रंश पड़ जाती हैं जिस कारण धरातल का कुछ भाग ऊपर उठ जाता है तथा कुछ भाग नीचे धंस जाता है। इस प्रकार ऊंचे उठे हुए भाग को भ्रंशोंत्थ पर्वत तथा नीचे धंसे हुए भाग को धंसान घाटी कहा जाता है। ये प्रायः दो समानांतर दरारों के मध्य स्थित होते हैं। यही कारण है कि जहाँ कहीं भ्रंशोंत्थ पर्वत पाए जाते है, वहाँ भ्रंश घाटियाँ अवश्य होती हैं। इनका आकार मेज की भाँति होता है अर्थात इनका शिखर मोड़दार पर्वतों की अपेक्षा नुकीला नहीं होता है बल्कि कुछ सपाट जैसा रहता है। इसका एक किनारा खड़े ढाल वाला होता है।


भ्रंशोंत्थ पर्वतों का निर्माण निम्न तीन रूपों में होता है-


1. जब दो सामान्य दरारों के बीच का भाग ऊपर उठ जाता है तो ब्लॉक पर्वतों का निर्माण होता है। इसमें ऊपर उठे हुए खंड को ही ब्लॉक पर्वत कहा जाता है। इस ऊंचे उठे भाग को जर्मनी में ' हार्स्ट ' भी कहा जाता है।


2. जब चट्टानों में दरारें इस प्रकार पड़ जाती हैं कि बीच का भाग स्थिर राह जाता है तथा मध्यवर्ती भाग के दोनों ओर के स्थल खंड नीचे की ओर खिसक जाते हैं। जब मध्यवर्ती भाग के अगल-बगल वाले भाग नीचे धंस जाते हैं तो मध्यवर्ती भाग ऊंचा उठा रह जाता है जिसे ब्लॉक पर्वत कहा जाता है।


3. जब धरातल के किसी भाग में दो सामान्य दरारों के बीच का भाग नीचे की ओर खिसक जाता है तथा पार्श्ववर्ती भाग अपने स्थान पर ही पूर्ववत खड़ा रह जाता है तो वह भाग नीचे धंस जाता है। उसे धंसान घाटी कहा जाता है तथा पार्श्ववर्ती ऊंचे उठे हुए भाग को ब्लॉक पर्वत कहते है।




विशेषताएं:- ब्लॉक पर्वत के निम्नलिखित विशेताएँ।

1. ब्लॉक पर्वत धंसान घाटियों के साथ संलग्न पाए जाते हैं।


2. इनका निर्माण तनाव या खिचांव शक्तियों के कारण होता है।


3. इनकी ऊंचाई मोड़दार पर्वत की अपेक्षा कम हिती है।


4. इनके शिखर संकुचित नहीं होते हैं बल्कि मेज की भांति सपाट होते हैं।


5. इनका ढाल एकदम सपाट तथा किनारे अत्यंत ढालू हीटर हैं।






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