जल संरक्षण (Water conservation) का महत्व एवं विधि I
-:जल संरक्षण:-
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जल संरक्षण का अर्थ है जल के प्रयोग को कम करना एवं सफाई, निर्माण एवं कृषि आदि के लिए अवशिष्ट जल का पुनः चक्रण करना ।
जल संरक्षण का महत्व :-
जल संरक्षण के महत्व निम्नलिखित हैं-
(ii) जल संरक्षण से मीठे पानी के भंडार में वृद्धि होती है। (iii) जल संरक्षण का समुचित उपाय उसका प्रदूषण से बचाव भी है। यह समय की मांग है और इस ओर पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए।
जल संरक्षण की विधि :-
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जल छाजन विकास :- जलछाजन जल संरक्षण की एक तकनीक है। इसका क्षेत्र अधिक व्यापक एवं विस्तृत होता है। इस तकनीक का उपयोग अधिक खुले स्थनों में किया जाता है, जैसे विस्तृत भू-खण्डों, नदियों की घाटियों और पर्वत-पहाड़ियों की तलहटी में किया जाता है।
वर्षा जल संचयन की दूसरी विधि इसका इस प्रकार संग्रहण है कि वर्षा जल की एक-एक बूंद रिसकर धरती के अंदर चली जाय । कुछ जगहों में वर्षा जल को भूमि में "पम्पिंग प्रणाली" द्वारा पहुँचाया जाता है। इससे भू-तल जलाशयों का पुनर्भरण संभव होता है और ये व्यर्थ बहकर नदी में नहीं जा पाती है।