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चक्रवातीय वर्षा के बारे में ।

                
            चक्रवातीय वर्षा ( Cyclonic Rainfall ):- 

कभी - कभी हवा के भार में अंतर होने के कारण तुफान आते हैं जिन्हें चक्रवात कहते हैं । इनका आकर गोलाकार होता है । केंद्र में निम्न वायु भार और बाहर की तरफ उच्च वायुभार रहता है । बाहर की उच्च भार वाली हवा भीतर की ओर घुसने का प्रयास करती है । केंद्र की निम्न वायुभार वाली गर्म एवं हल्की हवा ऊपर की ओर फैलती है ।

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धीरे-धीरे तापमान गिरने लगता है । हवा संतृप्त हो जाती है । तापमान ओसांक पर पहुंच जाता है । संघनन की क्रिया प्रारंभ होती है । चक्रवात के केंद्रीय स्थल में वर्षा होती है । जैसे-जैसे चक्रवात आगे बढ़ता जाता है वर्षा का क्षेत्र भी आगे की ओर खिसकता जाता है । वायु के प्रखर वेग के कारण वर्षा की बौछार भी तीव्र होती है । 

चक्रवातों की सृष्टि के कारण यह वर्षा होती है, अतः इसे चक्रवातीय वर्षा कहते हैं । शीतोष्ण क्षेत्रों में वर्षा का यह प्रकार विस्तृत रूप में देखने को मिलता है । 






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