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चक्रवात के बारे में। ( In Hindi )

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चक्रवात ( Cyclone ):- प्राकृतिक प्रकोपों में चक्रवात भी प्रमुख है। इनसे बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान होता है। इन्हें भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में टोर्नेडो, प. द्वीप समूह में हरिकेन द. पूर्व एशिया का टाइफून आदि ऐसे चक्रवात के उदाहरण है जो क्षण भर में विनाश का तांडव उपस्थित कर देते है।
           उड़ीसा में आये सुपर चक्रवात के कारण काफी धन जन की क्षति हुई थी।
            भयंकर चक्रवातीय तूफान विश्व के अनेक उष्ण कटबंधीय क्षेत्रों में आते रहते है। जिनसे लाखों लोगों की जाने जाती है और अपार संपत्ति का नुकसान होता है। हज़ारों लोग बेकार हो जाते हैं।



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     विश्व के शीत कटिबंध में भी चक्रवात का प्रचंड रूप देखने को मिलता है। शीत कटिबंध में तूफान को ब्लिजर्ड कहा जाता है। तेज झोंके के साथ गहरा हिमपात जीवन को अस्त व्यस्त कर देता है।


    कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, रूस, जापान, चीन आदि देशों में बर्फीली आंधी आती है जो काफी भयानक होती है। इनके कारण समुद्री तूफान भी जन्म लेता है जो तटवर्ती क्षेत्र भी बाढ़ और जलप्लावन कर अपार क्षति पहुँचाता है।


1970 ई. में बांग्लादेश में आये चक्रवर्तीय तूफान से लाखों लोगों की मृत्यु हो गई थी और अपार सम्पति का नुकसान हुआ था।


1990 ई. में आंध्र प्रदेश में आये तूफान के कारण हज़ारों लोग मारे गए थे तथा अपार धन संपत्ति की क्षति हुई थी।



इन तूफानों को रोकना मनुष्य के बस की बात नहीं है। केवल इनके प्रभावों को कम करने के लिए उपाय किये जाते है तथा जो कुछ भी होता है तूफान आने के बाद ही होता है। अगर समय रहते तूफान की सूचना उपलब्ध हो जाती है तो लोगों को वहां से तुरंत हटाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाकर  जान माल की क्षति को रोका तो नहीं जा सकता है बल्कि उसे कम किया जा सकता है।


         भारत मे उड़ीसा और आंध्र तट पर सन् 2013 में आये फैलिन नामक चक्रवात का जिसकी गति लगभग 200 किमी. प्रतिघन्टा थी, किन्तु पूर्व सूचना मिल जाने के कारण लोगों को वहाँ से हटाकर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा दिया गया था। जिससे जान माल का नुकसान काफी कम हुआ था।


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